आज यह दुनिया बहुत ख़ूबसूरत है
जब तुम हो फिर किसकी ज़रूरत है
देखो नीले आसमाँ पर चाँद खिल गया
सनम मुझको जब तेरा साथ मिल गया
अब रात-दिन आँखों में तेरी सूरत है
आज यह दुनिया बहुत ख़ूबसूरत है
रंग-बिरंगे फूल, हर-सू खिलते हैं
जब दो प्यार करने वाले मिलते हैं
आ प्यार करें, क्या ख़ूब महूरत है
आज यह दुनिया बहुत ख़ूबसूरत है
उस दिन जब तुम गुलाबी लिबास में थी
यूँ लगा जैसे कोई कली ख़ुशबाश में थी
तेरे लिए दिल में हर पल अक़ीदत है
आज यह दुनिया बहुत ख़ूबसूरत है
मेरी नज़र ने सनम जो तुझे छू लिया
एक अजनबी-सा ख़ाब सच कर लिया
अब यूँ ही होती मुझको मसर्रत है
आज यह दुनिया बहुत ख़ूबसूरत है
मसर्रत: ख़ुशी, happiness । हर-सू: सभी तरफ़, in vicinity
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४
7 replies on “आज यह दुनिया बहुत ख़ूबसूरत है”
मेरी नज़र ने सनम जो तुझे छू लिया
एक अजनबी-सा ख़ाब सच कर लिया
अब यूँ ही होती मुझको मसर्रत है
आज यह दुनिया बहुत ख़ूबसूरत है
” wah, scah kha jub aisa dilnashee sath ho to duniya sach mey bdee khubsuret hai,”
Regards
रंग-बिरंगे फूल, हर-सू खिलते हैं
जब दो प्यार करने वाले मिलते हैं
आ प्यार करें, क्या ख़ूब महूरत है
आज यह दुनिया बहुत ख़ूबसूरत है
बहोत खूब वाह मज़ा आ गया विनय भाई बहोत बधाई आपको …
waah bahut khubsurat nazm
बहुत बढ़िया!!
सैकड़ों सलाम मेरी रचना के पाठकों को… अपना प्यार बनाये रखें!
आप लिखते अच्छा हैं. बधाई.
सुरेश जी कृपया ध्यान दें कि मैं एक पुरूष हूँ, धन्यवाद!