आँखों में काजल माथे पे बिंदिया
केश हैं रातें मुखड़ा है चन्दा
जब-जब तुझपे नज़रें मैं डालूँ
चल जाये मोरे दिल पे कटरिया
आहा सँवरिया, आहा सँवरिया…
साँसों की साँसों तक ख़ुशबू उड़ी है
आँखों ही आँखों में बात छिड़ी है
मेरी मंज़िल मेरा मुक़द्दर है तू
यहीं-कहीं तेरी-मेरी राह जुड़ी है
जब-जब तुझपे नज़रें मैं डालूँ
चल जाये मोरे दिल पे कटरिया
आहा सँवरिया, आहा सँवरिया…
श्याम-सलोना मैं गोरी-चिट्टी तू
कच्ची अमिया-सी खट्टी तू
प्रीत से तू यह प्रीत निभा ले
मीत बन जा दिल में बसा ले
जब-जब तुझपे नज़रें मैं डालूँ
चल जाये मोरे दिल पे कटरिया
आहा सँवरिया, आहा सँवरिया…
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००१-२००२
One reply on “आँखों में काजल माथे पे बिंदिया”
bahud sundar,tu gori chhiti,aam si khatii,behtarin.