आँखों से सुना आँखों ने कहा
आँखों ने सुना आँखों से कहा
सिलसिला प्यार का चल पड़ा
पत्थर दिल पिघल पड़ा
क्या? कुछ चाहिए प्यार को
बस प्यार चाहिए प्यार को
सितमगर का नाज़ उठाना पड़ा
हौसला उसको दिखाना पड़ा
वक़्त कहाँ इन्तिज़ार को
इम्तिहाँ है मेरे प्यार को
वह शब ख़्यालों में रहा
आँखों ने सुना आँखों ने कहा
जल गया साँस का हर टुकड़ा
रह गया फाँस का टुकड़ा
प्यार को वह झलक चाहिए
रहने को फ़लक़ चाहिए
बाँहों में आये चाँद का टुकड़ा
देखता रहूँ उसका मुखड़ा
जिस्म में वह महक चाहिए
प्यार में वह दहक चाहिए
मेरा दिल आइने में रहा
आँखों से सुना आँखों ने कहा
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३
5 replies on “आँखों से सुना आँखों ने कहा”
बाँहों में आये चाँद का टुकड़ा
देखता रहूँ उसका मुखड़ा
जिस्म में वह महक चाहिए
प्यार में वह दहक चाहिए
” REALLY COMMENDABLE, MIND BLOWING, LOVED IT YA”
सितमगर का नाज़ उठाना पड़ा
हौसला उसको दिखाना पड़ा
वक़्त कहाँ इन्तिज़ार को
इम्तिहाँ है मेरे प्यार को
bahut hi khubsurat, awesome!
@ सीमा जी, क्या बात है मेरी और आपकी पसन्द तक़रीबन एक-सी है मैने कई बार यह बात महसूस की है।
@ महक जी, शुक्रिया नियमित पाठक रहने के लिए!
“han shayad pasand ek hai kyunkee sock ek hai, shayad feelings bhee ek hai, bus shbd aap kuch acche likhten hain or hum abhee sikh rahen hai”
Regards
I am too in learning phase like you… it’s different thing you found me better or learned… there are many things to learn… that’s why we share same thoughts in different ways… right!