ऐ दर्द तू इस दिल में सिवा हो जाना
लेकर नाम उसका मेरी दवा हो जाना
न बदले गर जो मेरे हालात कभी
तुम रोज़े-अजल मेरी दुआ हो जाना
ठुकराया खु़शी ने तो सँभाला तूने
ऐ दोस्त तुम न मुझसे जुदा हो जाना
मैं कब बदला हूँ लोग बदलते रहे
तुमने सिखाया खु़शरंग फ़िज़ा हो जाना
बढ़के थाम लिया तुमने हर डगर
कि अब तुम मेरे रहनुमा हो जाना
साँस लो जब तक दर्द है दिल में
हर खु़शी पे ‘नज़र’ तुम फ़ना हो जाना
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’