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मेरी ग़ज़ल

अपनी जाँ वार जाऊँ तेरे नाम

अपनी जाँ वार जाऊँ तेरे नाम
चर्ख़ से आये न आये इल्हाम

हूँ रोज़े-अव्वल से तेरा दीवाना
मेरे लहू की ख़ू  है इबराम

मुझे तो इख़लास सताये है
किसके हाथों भिजवाऊँ पैग़ाम

ये ज़मीं जन्नत हो गयी है
देखकर तुझ-सा गुले-अंदाम

गर तुम निबाहो मेरा साथ
मैं बनकर रहूँ तेरा राम

तुम आओ शफ़क़ कारगर हो
मैं देख पाऊँ शामे-अंजाम

गर महफ़िल हो इज़्ज़त मेरी
करूँ मैं सारी सब वहीं तमाम

दिल एक ही शरर में ख़ाक हुआ
हुस्ने-जानाँ है मेरी शोला-फ़ाम

दाग़ पे दाग़ खाऊँ जिगर पे
झेल जाऊँ सैकड़ों इल्ज़ाम

आपको पेशे-खिदमत है दिल
‘नज़र’ है आपका ही ग़ुलाम


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

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