दर्द मेरा कब कमनसीब होगा
लम्हा वो कौन-सा खु़शनसीब होगा
यह सच है मुझे प्यार है तुमसे
जाने कब तेरा दिल मेरे क़रीब होगा
वह नहीं देते पता तेरा जिन्हें मालूम है
न जाना था कि ज़माना मेरा रक़ीब होगा
जादू है तेरे हाथों में मसीहा है तू
पूरा कब यह इलाज़ ऐ तबीब होगा
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’