भोर पर केसर की सी लालिमा
किसी खिलते कुसुम की तारिणा
किसी वराह की सृष्टि का गोचर
आया नव वर्ष छंद आनन्द लेकर
नव पल्लव पर रवि का प्रथम उत्कार
मिला धरा को जैसे सुख स्वीकार
कोकिल की प्रथम वाणी का स्वर
आया नव वर्ष छंद आनन्द लेकर
मेघ आश्रुत से हुआ धरा शृंगार
पूर्ण चंद्र पर लायी चंद्रिका निखार
बह मधुशीर्य दे रही निज वर
आया नव वर्ष छंद आनन्द लेकर
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००१-२००२
5 replies on “आया नव वर्ष छंद आनन्द लेकर”
सुन्दर कविता है!
ऐसी भाषा में आजकल बहुत ही कम लिखा जा रहा है।
लिखते रहिए…
शुभकामनाएं !
नव पल्लव पर रवि का प्रथम उत्कार
मिला धरा को जैसे सुख स्वीकार
कोकिल की प्रथम वाणी का स्वर
आया नव वर्ष छंद आनन्द लेकर
bahut khubsurat lafz,happy new year and good wishes.
बहुत सुन्दर है ब्लाग आपका !
मेरे ब्लाग पर आने के लिये धन्यवाद !
आज कुछ है उस पर आप के लिये , निरखें ! !
बढीया कविता है।
नए साल की शुभकामनाएं, आपको ढेरों सारी ख़ुशियां मिले
सुन्दर कविता