Categories
मेरा गीत

बिछड़ के रहना सीख लिया है

बिछड़ के रहना सीख लिया है
क्या तुमने, क्या तुमने
बिछड़ के रहना सीख लिया है
क्या तुमने, क्या तुमने…

क्या वहाँ तक, वहाँ तक
मेरी आवाज़, मेरी सदा जाती नहीं
क्या वहाँ तुझे, वहाँ तुझे
मेरी बातें, मेरी याद सताती नहीं

बिछड़ के रहना सीख लिया है
क्या तुमने, क्या तुमने
बिछड़ के रहना सीख लिया है
क्या तुमने, क्या तुमने…

हर तरफ़ तू नज़र आती है
पल-पल तू दिल में समाती है
बेवफ़ा तू हो सकती नहीं
दिल से जुदा तू हो सकती नहीं

क्या वहाँ तक, वहाँ तक
मेरी आवाज़, मेरी सदा जाती नहीं
क्या वहाँ तुझे, वहाँ तुझे
मेरी बातें, मेरी याद सताती नहीं

बिछड़ के रहना सीख लिया है
क्या तुमने, क्या तुमने
बिछड़ के रहना सीख लिया है
क्या तुमने, क्या तुमने…


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: १९९८-१९९९

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

One reply on “बिछड़ के रहना सीख लिया है”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *