मैं तुम्हें चाहता हूँ यह इक़रार कर पाना बहुत मुश्किल है
आकर तुम्हीं मुझसे इज़हारे-इश्क़ का कोई वादा ले लो,
वरना ज़िन्दगी का एक-एक दिन तेरे इंतिज़ार में कटेगा
इक़रार: to confess | इज़हार: to express
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४
Merii triveNii
मैं तुम्हें चाहता हूँ यह इक़रार कर पाना बहुत मुश्किल है
आकर तुम्हीं मुझसे इज़हारे-इश्क़ का कोई वादा ले लो,
वरना ज़िन्दगी का एक-एक दिन तेरे इंतिज़ार में कटेगा
इक़रार: to confess | इज़हार: to express
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४
रोज़ ही होता है होंठों तक बात आते-आते रह जाती है
मेरी इक कमी तेरे रू-ब-रू मुझे लब खोलने नहीं देती
कितना मुश्किल है ख़ुद ही ग़लत होने का एहसास!
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४
एक ख़ामोश अफ़साना जो तुम्हारी नज़रों ने सुनाया है मुझे
काश! वह तुम अपने लबों से मेरे लबों पर लिखती कभी,
इससे तेरी ज़िन्दगी के कुछ पल मेरे हिस्से तो आ जाते!
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४
पूनम थी शाम जिसने देखा मुझे
मैंने उसकी नज़र को उसने मुझे,
और चाँद रातभर रश्क करता रहा!
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४
हिक़ारत भरी नज़रों से जिसे देखा है दुनिया ने
उसको तुम एक नज़र मोहब्बत से देख लेना,
वह मुफ़लिस है मगर जीने को साँस लेता है!
हिक़ारत: घृणित, hateful | मुफ़लिस: ग़रीब, poor । मगर: शायद, perhaps
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४