चाहूँ तुमको चाहो जिस तरह
तुमसे तुमको माँगू किस तरह
न राह न रास्ता इश्क़ में
पूरा हो यह सफ़र किस तरह
मन्ज़र यह हसीन तुमसे थे
मैं यह शाम सँवारू किस तरह
दर्द की यह इक मौज है
सारा सागर दिखाऊँ किस तरह
हसरत न मिटे गर लहू से
मैं उसको पूरी करूँ किस तरह
‘नज़र’ उसको करूँ बयान
मैं बेक़रारि-ए-दिल किस तरह
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’