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मेरा गीत

छताँ लगा जाके मैं रोज़ चाँद तकियाँ

छताँ लगा जाके मैं रोज़ चाँद तकियाँ यार वास्ते
कि मेरा भी होवे यार चाँद जैसा दीदार वास्ते
कहाँ मिलेगा वह कब मिलेगा मुझको यार मेरा
हर गली घूमाँ हर सड़क फिरा दिलदार वास्ते

रब्बा मेरे, मुझसे मेरा यार मिला दे, मिला दे
सोणे यार दी मेरे तन्हा दिल से तड़प घटा दे
यार मिला दे, रब्बा मुझसे मेरा यार मिला दे

दोस्ताँ से मैं इश्क़ की रोज़-रोज़ बाताँ सुनियाँ
रब्बा मेरे, मैं भी चाहाँ इश्क़ में डूबाँ-उबरियाँ
कहाँ मिलेगा वह कब मिलेगा मुझको यार मेरा
हर गली घूमाँ हर सड़क फिरा दिलदार वास्ते

रब्बा मेरे, मुझसे मेरा यार मिला दे, मिला दे
सोणे यार दी मेरे तन्हा दिल से तड़प घटा दे
यार मिला दे, रब्बा मुझसे मेरा यार मिला दे

सौंधी-सौंधी रोज़ चाँद संग यह काली राताँ चुभियाँ
निम्मी-निम्मी तन में अनजानी आगाँ जलियाँ
दिल को मेरे किसी घड़ी किसी पल चैन न आवे
रब्बा मेरे, यार मेरा अब मुझको दरस दिखावे

जाने कौन राताँ विच मेरा वह सोणा चाँद खिलियाँ
ख़ुमारियाँ चढ़ियाँ, आँखाँ उससे किस राह मिलियाँ
कहाँ मिलेगा वह कब मिलेगा मुझको यार मेरा
हर गली घूमाँ हर सड़क फिरा दिलदार वास्ते

रब्बा मेरे, मुझसे मेरा यार मिला दे, मिला दे
सोणे यार दी मेरे तन्हा दिल से तड़प घटा दे
यार मिला दे, रब्बा मुझसे मेरा यार मिला दे


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

2 replies on “छताँ लगा जाके मैं रोज़ चाँद तकियाँ”

वास्ते
“wah, वास्ते word ka upyog bhut shee or sunder bn pdda hai iss poetry mey”
Regards

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