चोरी-चोरी दिल में तुम बस गये
हम भी तेरे इश्क़ में फँस गये
तुमने शहर छोड़ा बिना कुछ कहे
और हम दीदार को तरस गये
कभी देखने को ही आते तुम हमें
हम बनके आँसू दिल में बरस गये
सुन के तेरे बारे में इतना कुछ नया
हम दिल ही दिल लरज़ गये
मुब्तिला हैं तेरे इश्क़ में हम
छुटाया तो और भी कस गये
हाल अपने जैसा भी तेरा कुछ हो
जैसे यह दिन मेरे बेकस गये
मुफ़्त हुआ तुमसे दिल का लगाना
मेंहदी के जैसे यादों में रस गये
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३