चुपके से दिल को दिया
चुपके से दिल को लिया
छल्ला बनाकर उँगली में पहन लिया
रात-दिन चूमती हूँ इसे
रात-दिन चाहता हूँ तुम्हें
पास जो तुम आ गये सब मिल गया
सब्ज़ मौसम हसीं आँखों में खिल गये
प्यार में तुम हमें ऐसे जो मिल गये
ख़ाब सारे अपने सच हो गये चुपके से
नाज़ तुम्हारा एक अदा है
दिल तुम पर फ़िदा है
जादू यह तुम्हारे, सब हैं हुस्न के शरारे
तुम्हारी आँखों के तीर
मेरे दिल को जाते चीर
हम मिट गये तुम्हें छू लिया चुपके से
बहकी हुई हैं धड़कनें, बदली हैं ख़ाहिशें
आरज़ू तुम्हारी थी, जुस्त-जू पूरी हो गयी
हमें सब कुछ हासिल हो गया चुपके से
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३
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wah wah