दिल का जला होता तब रोशनी होती
मैं तो जला हूँ चश्मे-अश्कबारी का…
अब मेरी ख़ाक इक निहाँ दलदल है!
चश्मे-अश्कबारी= rain of tears, निहाँ= hidden, buried
दलदल= marsh, quagmire, ख़ाक= ash, dust
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३
दिल का जला होता तब रोशनी होती
मैं तो जला हूँ चश्मे-अश्कबारी का…
अब मेरी ख़ाक इक निहाँ दलदल है!
चश्मे-अश्कबारी= rain of tears, निहाँ= hidden, buried
दलदल= marsh, quagmire, ख़ाक= ash, dust
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३
5 replies on “दिल का जला होता तब रोशनी होती”
भाई वाह ! बहुत बढ़िया है.
शुक्रिया, अपना प्रेम भाव बनाये रखिए।
बहुत बढ़िया!!
बेहद खूबसूरत
Thanks, Param and Rohit, Both of you!