Categories
मेरी ग़ज़ल

ग़लत करते हैं

हम जितना करते हैं’ ग़लत करते हैं
गर सही भी करते हैं तो ग़लत करते हैं

तुमको बतायेगा कौन ख़ुदा भी पत्थर है
जी को लगाते हैं तुमसे’ ग़लत करते हैं

तुम अपने नाज़ से न फिरोगे हम ख़ुद से
नाज़ उठाते हैं तुम्हारा ग़लत करते हैं

इश्क़ में जलकर ख़ाक़ हो जायेंगे हम
हम जलते हैं इश्क़ में ग़लत करते हैं

करते हैं ग़ैर से अपने दिल का हाल बयाँ
जान-बूझकर काम ये ग़लत करते हैं

तुमको चीरकर अपना दिल दिखा देंगे
‘नज़र’ हम जो करते हैं ग़लत करते हैं


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *