दिल और जाँ तेरे नाम करूँ
हमेशा तुझे प्यार करूँ
दिल भी न जाने मैं भी न जानूँ
क्यों मैं तुझे प्यार करूँ
हमेशा तुझे प्यार करूँ
हमेशा तुझे प्यार करूँ…
आँखों में तू इस तरह से बसा है
कोई ख़ाब सच्चा जैसे सजा है
इसे अगर खोना भी चाहूँ तो
यह कभी हो पायेगा नहीं
दिल तेरे सिवा सातों जनम
किसी और को न चाहेगा नहीं
ख़ाबों में तुझको बुलाया है
तेरे लिए इनको सजाया है
खिला है चाँद सजे हैं तारे
तू कहाँ है आ भी जा
यह दिल तुझे ही पुकारे
हमेशा तुझे प्यार करूँ…
दिल और जाँ तेरे नाम करूँ
हमेशा तुझे प्यार करूँ
दिल भी न जाने मैं भी न जानूँ
क्यों मैं तुझे प्यार करूँ
हमेशा तुझे प्यार करूँ
हमेशा तुझे प्यार करूँ…
कोई नहीं तुझसे पहले मिला
कोई नहीं तेरे बाद मिला
जिस पर थोड़ा-सा भी
मैं अपना प्यार निसार करूँ,
हमेशा तुझे प्यार करूँ…
कमल-सा कमसिन तेरा बदन
गुलाब की तुझमें सुगंध
बाँहों में भरकर तुझे
तेरी ज़ुल्फ़ों से उलझा रहूँ
हमेशा तुझे प्यार करूँ
दिल भी न जाने मैं भी न जानूँ
क्यों मैं तुझे प्यार करूँ,
हमेशा तुझे प्यार करूँ…
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००१-२००२