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मेरी ग़ज़ल

हुआ है आज उनका फ़ैसला मेरे ख़िलाफ़

हुआ है आज उनका फ़ैसला मेरे ख़िलाफ़
सुनने में आया है न करेंगे मुझे मुआफ़

उस ने एक भी मौक़ा न दिया मुझ को
जो उनसे मिलके करते अपना दिल साफ़

आये तो मौत आये उनके सामने सुकूँ से
देखें वह रूह से छुटता हुआ मेरा लिहाफ़

ढल रही थी धीरे-धीरे सहर में यह रात
पड़ रहा धीरे-धीरे मेरे दिल में शिगाफ़

शब्दार्थ:
मुआफ़: माफ़, क्षमा; लिहाफ़: वस्त्र; सहर: भोर, प्रभात; शिगाफ़: दरार, चटकना


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

9 replies on “हुआ है आज उनका फ़ैसला मेरे ख़िलाफ़”

बहुत खूब। मेरी तुकबंदी भी देखिये-

बन के जीना चाहता था आदमी पर क्या करूँ।
प्रियतमा ने कह दिया कि आप लगते हैं जिराफ।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
[email protected]

तस्वीर में आपकी गर्दन इतनी लम्बी तो नहीं, ज़रा अपनी प्रियतमा का फ़ोन नम्बर देंवे, फिर यह ज़िराफ़ वाला क़िस्सा ज़रा सुलझेगा! हम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्!

हुआ है आज उनका फ़ैसला मेरे ख़िलाफ़
सुनने में आया है न करेंगे मुझे मुआफ़

बहुत बढिया, विनय जी।
शुभकामनाएँ।

रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (08:58:44) : Your comment is awaiting moderation

हुआ है आज उनका फ़ैसला मेरे ख़िलाफ़
सुनने में आया है न करेंगे मुझे मुआफ़

बहुत बढिया, विनय जी।
शुभकामनाएँ।

सुन्दर !अच्छा लगा !
“आये तो मौत आये उनके सामने सुकूँ से
देखें वह रूह से छुटता हुआ मेरा लिहाफ़”

लिहाफ! क्या बात है!

पर हम, उन्‍हें माफ नहीं करेगे, जिन्‍होंने आपको अपनी बात रखने का मौका भी न दिया।

क्‍या सच में ऐसा है।
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खुशियों का विज्ञान-3
एक साइंटिस्‍ट का दुखद अंत

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