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मेरा गीत

इस प्यार की बीमारी का कोई तो इलाज होगा

इस प्यार की बीमारी का कोई तो इलाज होगा
हसीं चाँद से भी ज़्यादा कोई तो माहताब होगा

यह माना कि बंदे की शक्ल पर
फ़िदा कोई न होगा
पर कोई तो होगा
जिसको मेरी मोहब्बत पर यक़ीन होगा

रोज़-रोज़ किसको होती है मोहब्बत
एक नज़र में ही बेक़रार करती है चाहत
ऐसे में किसी को अपने
ख़ुदा पर भी कहाँ एतबार होगा

इस प्यार की बीमारी का कोई तो इलाज होगा
हसीं चाँद से भी ज़्यादा कोई तो माहताब होगा

यह तमन्ना जो एक बार जग जाती है
बेवजह वजह बनके आग लग जाती है
क़रार पाके मचलते हैं अरमान
वजह अरमानों की बेवजह रास आती है

जो उसके दिल में मेरे दिल में
एक-सा उठेगा
ऐसा कोई तो साज़ होगा
कभी उसके चेहरे पर मेरा अंदाज़ होगा

इस प्यार की बीमारी का कोई तो इलाज होगा
हसीं चाँद से भी ज़्यादा कोई तो माहताब होगा

ऐ हुस्ने-माहताब, ऐ नूरे-चराग़
अब आपकी अदा में कौन-सा अंदाज़ होगा
जिसे मिल जाये आप-सा जाँ-नशीं
उसे क्यों न अपनी क़िस्मत पर नाज़ होगा


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००१-२००२

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

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