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मेरी ग़ज़ल

इश्क़ के पेंचो-ताब से तंग हैं हम

इश्क़ के पेंचो-ताब से तंग हैं हम
उस सादा चेहरे का रंग हैं हम

मैं साहिल पे पड़ा-पड़ा उसमें घुल गया
वो सागर की इक मौज संग है हम

मेरे खा़तिर का लहू आँखों में आ गया
इसे देख भी न बदला वो दंग हैं हम

जिसके लिए दिन-रात जलता है दिल
वो शम्ए-महफ़िल पतंग हैं हम

बे-ख़बर है वो उसे नहीं ख़बर
उसके दिल की हर खु़शी हर तरंग हैं हम

रंगे-जमाल मेरी ज़िन्दगी नहीं तो
ऐ शायिर ‘नज़र’ बहुत बे-रंग हैं हम


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

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