जाने कहाँ खो गयी तू
दूर मुझसे हो गयी तू
ढूँढ़ रहा हूँ…
दीवानों की तरह मैं तुझको
सोच ज़रा क्या मेरा हाल है
क्या तेरा भी होगा ऐसा ही
मेरे जैसा ही…
जाने कहाँ खो गयी तू
दूर मुझसे हो गयी तू
पागल हुआ…
मेरा अफ़साना बना
मैं तेरा परवाना बना
इश्क़ में जला दे मुझे
गले से लगा ले मुझे
कर दे कुछ ऐसा ही…
जाने कहाँ खो गयी तू
दूर मुझसे खो गयी तू
दिल में इक तस्वीर है
तेरी है
मेरी जो तक़दीर है
तू ही है
सोचा था जैसा पाया था मैंने
तुझको वैसा ही…
जाने कहाँ खो गयी तू
दूर मुझसे हो गयी तू
अब तो लौट आ…
अब तो लौट आ…
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००२