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मेरी ग़ज़ल

जिससे पूछता हूँ

मुसीबत क्या-क्या न तेरे इश्क़ में आयेगी
आफ़त रोज़ नयी मेरे सर पे उठायेगी

बेक़रार पहले न किया इतना मेरे दिल ने
आज तो लगता है बस साँस उखड़ जायेगी

जिससे पूछता हूँ तेरा पता नहीं देता मुझको
आज़माइशे-वक़्त   कितना   रुलायेगी

कोई क्या जाने हालत मेरे बीमारिए-दिल की
कुछ आज बिगड़ी है कल और बिगड़ जायेगी

मेरे आँसू भी दर्द से भर उठे जाने-बहार
तेरी जुदाई और मुझे कितना तड़पायेगी

राह तू ही दिखा अपने बंदे को मेरे मालिक
‘नज़र’ की जान शीना के बग़ैर न जायेगी


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

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