जो इश्क़ की आग भड़क उठी है
जैसे मैं शोलों में जल रहा हूँ
तेरे बदन की कशिश का है जादू
देखकर तुझ को मचल रहा हूँ
मुझे है ख़ाहिशो-तमन्ना1 तेरी
मैं उम्मीद को मसल रहा हूँ
एक यह ख़ाब मैं देखता हूँ कि
तेरी मरमरीं बाँहों में पिघल रहा हूँ
शब्दार्थ:
1. ख़ाहिशो-तमन्ना: इच्छा और चाह
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४
25 replies on “जो इश्क़ की आग भड़क उठी है”
बेहतरीन!
Good Morng. Vinay ji,
Aap ke iis Gazal mein pyaar ke bahut anubhuti hain, aap ko bahut bahut badhaii or dhanyawaad jo itni sundar prem se paripurn gazal padny ko mili
bahot hi rumaaniyat hai bhaee sahib…
arsh
वाह, अच्छा पिरोया है आपने
एक यह ख़ाब मैं देखता हूँ कि
तेरी मरमरीं बाँहों में पिघल रहा हूँ
bahut badhiya mitr
आप सभी महानुभावों का शुक्रिया!
बडी गजब की आग है। अब क्या होगा?
bahut sundarta se bhavon ko vyakt kiyaa hai shubhkamnaayen
bahut sundar bhaav hain shubhkamnayen
आप सभी के प्यार और मान का बहुत-बहुत धन्यवाद!
अब तो इसमें मिलन का जल डालना होगा, वर्ना अंजाम तो कोई भी समझ सकता है।
bahut umda
प्रिय विनय,
मैं अपने लैपटॉप की सेटिंग से परेशान था कि वह किसी भी एक्टिव कंटेंट की विण्डो को नही खोलने दे रहा था। इस बीच मैंने बहुत चाहा फिर भी रिस्पॉंड नही कर सका।
मुझे आपके ब्लॉग टेम्पलेट्स शायद अभी तक देखे सभी ब्लॉगस में सबसे सुन्दर लगे।
और अच्छी रचनाओं से खूबसूरती और बढ जाती है।
यदि संभव हो तो अपना मोबाईल नं दीजियेगा, मैं भी उन्नाव का ही मूल बाशींदा हूँ, फिल्हाल इन्दौर में हूँ।
मुकेश कुमार तिवारी
+९१९४२५०६५११५
दौर
जी शीघ्र ही मैं आपको मेल द्वारा सूचित कर दूँगा।
धन्यवाद!
आपके ब्लॉग पर पहली बार आया हूँ !! अद्वितीय रचनाएं हैं आपकी!!पर ये कमेन्ट देने के लिए पूरा बायो- डाटा क्यूँ लेते हैं जी!
आशा है कि आपको उत्तर मेल द्वारा मिल गया होगा।
धन्यवाद!
बहुत खूब। बहुत सुंदर रचना।
अहसासे-प्यार का प्यारा सा अहसास दिलाती आपकी रचना अच्छी लगी, बधाई स्वीकार करें.
चन्द्र मोहन गुप्त
उम्दा भाव.
इतनी गर्मी पहले ही पड़ रही है
उस पर आगमआग
जागकर जल्दी बंदे
सर्दी की ओर भाग।
इतनी बढ़िया-बढ़िया ग़ज़ल |
आप मेरे ब्लॉग रोल में शामिल आज से |
भाई वहा क्या बता है। लाजवाब रचना
nice…………………nice…………………..nice……………….
बहुत खूब.. इश्क़ तो जुनून है!! और आशिक दीवानगी मे अलफातून!!
Bahut khoob lambe arse bad ek behtreen sayri mile. thenk u