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मेरी ग़ज़ल

जो लोग अच्छे होते हैं दिखते नहीं हैं

जो लोग अच्छे होते हैं दिखते नहीं हैं
चाहने वाले बाज़ार में बिकते नहीं हैं

ख़ुद से पराया ग़ैरों से अपना रहे जो
ऐसे लोग एक दिल में टिकते नहीं हैं

सूरत से जो सीरत को छिपाये फिरते हैं
वो कभी सादा चेहरों में दिखते नहीं हैं

होता है नुमाया दिल को दिल से, दोस्त!
मन के भेद परदों में छिपते नहीं हैं

इन्साँ है वह जो जाने इन्सानियत
हैवान कभी निक़ाबों में छिपते नहीं हैं

वक़्त में दब जाती हैं कही-सुनी बातें
हम कभी कुछ दिल में रखते नहीं हैं

पलटते हैं जो कभी माज़ी के पन्नों को
ये आँसू तेरी याद में रुकते नहीं हैं

नहीं मरना आसाँ तो जीना भी आसाँ नहीं
चाहकर मिटने वाले मिटते नहीं हैं


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

11 replies on “जो लोग अच्छे होते हैं दिखते नहीं हैं”

अच्छे व्यक्तित्व को सिर्फ़ अच्छा ही समझ सकता है |
धन्यवाद |

जो लोग अच्छे होते हैं दिखते नहीं हैं
बहुत अच्‍छा लिखा है……..बधाई।

होता है नुमाया दिल को दिल से, दोस्त!
मन के भेद परदों में छिपते नहीं हैं

ओए होए क्‍या बात कही है दोस्‍त बहुत ही अच्‍छा आप लिखो आपको पढना बहुत अच्‍छा लगता है

ख़ुद से पराया ग़ैरों से अपना रहे जो
ऐसे लोग एक दिल में टिकते नहीं हैं

bahut badhiya rachana .wah

होता है नुमाया दिल को दिल से, दोस्त!
मन के भेद परदों में छिपते नहीं हैं

” wah, sach kha dil to beparda hota hai, khan kuch bhi chupa patta hai ”

regards

ख़ुद से पराया ग़ैरों से अपना रहे जो
ऐसे लोग एक दिल में टिकते नहीं हैं
sach kaha……

ख़ुद से पराया ग़ैरों से अपना रहे जो
ऐसे लोग एक दिल में टिकते नहीं हैं

विनय भाई इसे भी तो मत लिखो यार इसे कहर बरपवोगे तो हंगामा खड़ा हो जाएगा दोस्त …. बहोत खूब लिखा है आपने बहोत उम्दा ढेरो बधाई स्वीकारें…

अर्श

नहीं मरना आसाँ तो जीना भी आसाँ नहीं
चाहकर मिटने वाले मिटते नहीं हैं
बहुत सुंदर लाजबाव
धन्यवाद

अर्श जी और राज भाटिया जी, आप दोनों का हार्दिक अभिनन्दन है

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