काश हम दोनों साथ कहीं तनहा बैठा करते
दिल दिल से बात करता कुछ ऐसा करते
जैसा न किया किसी ने किसी से पहले आज तक
प्यार हम दोनों एक दूसरे से वैसा करते
न मिल पाते जिस दिन हम और तुम दोनों
बैठकर तसव्वुर की लकीरें खैंचा करते
तेरा दर्दे-दिल पढ़ लेता हूँ तेरी आँखों में
हम भी तुमसे प्यार तेरे ही जैसा करते
बादल कहीं इस चाँद को चुरा न ले जाए
रात भर जागते हम तेरी यादों में पहरा करते
अभी मेरी मोहब्बत का रंग कुछ हल्का है
अपनी तहरीर से कुछ और गहरा करते
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’