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मेरी ग़ज़ल

काश हम दोनों साथ कहीं तनहा बैठा करते

काश हम दोनों साथ कहीं तनहा बैठा करते
दिल दिल से बात करता कुछ ऐसा करते

जैसा न किया किसी ने किसी से पहले आज तक
प्यार हम दोनों एक दूसरे से वैसा करते

न मिल पाते जिस दिन हम और तुम दोनों
बैठकर तसव्वुर की लकीरें खैंचा करते

तेरा दर्दे-दिल पढ़ लेता हूँ तेरी आँखों में
हम भी तुमसे प्यार तेरे ही जैसा करते

बादल कहीं इस चाँद को चुरा न ले जाए
रात भर जागते हम तेरी यादों में पहरा करते

अभी मेरी मोहब्बत का रंग कुछ हल्का है
अपनी तहरीर से कुछ और गहरा करते


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

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