कौन मिलाए तुमसे मुझे
खु़शियाँ दिलाए तुमसे मुझे
आँखें खा़री झील बन गयीं
यूँ दर्द आये तुमसे मुझे
चाँद भी रश्क़ करता है
जो क़रीब पाये तुमसे मुझे
कभी ख़त आये तुमसे मुझे
खु़दा मिलाए तुमसे मुझे
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
कौन मिलाए तुमसे मुझे
खु़शियाँ दिलाए तुमसे मुझे
आँखें खा़री झील बन गयीं
यूँ दर्द आये तुमसे मुझे
चाँद भी रश्क़ करता है
जो क़रीब पाये तुमसे मुझे
कभी ख़त आये तुमसे मुझे
खु़दा मिलाए तुमसे मुझे
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’