ख़ाबों में रंग भरना शौक़ नहीं
सवालों का जवाब मौत नहीं
उम्र का जाम पिलाये जा साक़ी
यह जाम है कोई ख़ाब नहीं
यह किस रेगिस्ताँ में ला छोड़ा
मुझे उम्मीदे-सराब नहीं
जो तू न दे पाये ज़माने को
‘नज़र’ ऐसा कोई जवाब नहीं
सराब = बादल, cloud
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००२
One reply on “ख़ाबों में रंग भरना शौक़ नहीं”
wah lajawab,jo tu na de sake zamane ko’nazar’aisa koi jawab nahi.
hume urdu arth batane ke liye bhi shukran,aage hum dictonary ka upoyog jarur karengi.