आज तेरा कोई निशाँ मिले शायद
दीप कोई बुझा जले शायद
घड़ी भर को चैन आ जाये मुझे
कोई पयाम तेरा मिले शायद
एक उम्मीद का रोना है यारों
मुझको मेरा जहाँ मिले शायद
दिलो-जाँ पर क्या-क्या न बीती
किसी गली खु़दा मिले शायद
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
आज तेरा कोई निशाँ मिले शायद
दीप कोई बुझा जले शायद
घड़ी भर को चैन आ जाये मुझे
कोई पयाम तेरा मिले शायद
एक उम्मीद का रोना है यारों
मुझको मेरा जहाँ मिले शायद
दिलो-जाँ पर क्या-क्या न बीती
किसी गली खु़दा मिले शायद
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’