किसी का दर्दे-दिल प्यारे तुम्हारा नाज़ क्या समझे
जो गुज़रे सैद१ के दिल पर उसे शहबाज़२ क्या समझे
रिहा करना हमें सैयाद३ अब पामाल करना है
फड़कना भी जिसे भूला हो सो परवाज़४ क्या समझे
न पूछो मुझसे मेरा हाल टुक५ दुनिया में जीने दो
खुदा जाने मैं क्या बोलूँ कोई ग़म्माज़६ क्या समझे
कहा चाहे था तुझसे मैं लेकिन दिल धड़कता है
कि मेरी बात के ढब को तू ऐ तन्नाज़७ क्या समझे
जो गुज़री रात मेरे पर किसे मालूम है तुझ बिन
दिले-परवाना का जुज़-शमा८ कोई राज़ क्या समझे
न पढ़ियो ये ग़ज़ल ‘सौदा’ तू हरगिज़ ‘मीर’ के आगे
वो इन तर्ज़ों से क्या वाक़िफ़ वो ये अंदाज़ क्या समझे
Word Meaning:
१.शिकार २.शाही बाज़ ३.शिकारी ४.उड़ान ५.ज़रा-सा ६.चुग़लख़ोर ७.व्यंग्य करने वाला ८.शमा के अलावा
2 replies on “किसी का दर्दे-दिल प्यारे तुम्हारा नाज़ क्या समझे”
After a long time I read a really good ghazal. Thanks a lot for sharing it, keep up the good work.
Regards,
Thanks for nice comment 🙂