किसी जाने से क्या बदल जाता है
बस दिल बदल जाता है
अपना दिल बदल जाता है
छत पर खड़े होते थे
बहती पुरवाई में तेरी ख़ुशबू होती थी
आज भी बहती है वह
लेकिन उदास बातें करती है वह…
किसी के जाने से क्या बदल जाता है
अपना दिल बदल जाता है
आइने में जैसे देखते थे ख़ुद को
वह नज़रिया बदल जाता है…
बेलों पर वह गुच्छे,
कुछ सफेद कुछ गुलाबी
आज भी खिला करते हैं
हम कब ख़ुद से
तेरा कोई गिला करते हैं
ज़ख़्म सिला करते हैं…
वह सूरज जो किसी के साथ ढलता था
आज अकेले ही ढल जाता है
किसी के जाने से क्या बदल जाता है
अपना दिल बदल जाता है…
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००२
One reply on “किसी जाने से क्या बदल जाता है”
sahi kaha kisi ke jane se bas dil badal jata hai,baki to zindagi vahi hoti hai.good thoughts.