कोई मेरे दिल के क़रीब है शायद तुम हो
अगर तुम नहीं फिर तो शायद ग़म हो
शबभर तुम्हारे खा़ब उगते हैं नींदों में
मेरा दर्द इस तरह ही शायद कम हो
है सख़्त-दिल मुझसे मेरी तक़दीर
मेरा हाल जानकर तेरा दिल शायद नम हो
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
कोई मेरे दिल के क़रीब है शायद तुम हो
अगर तुम नहीं फिर तो शायद ग़म हो
शबभर तुम्हारे खा़ब उगते हैं नींदों में
मेरा दर्द इस तरह ही शायद कम हो
है सख़्त-दिल मुझसे मेरी तक़दीर
मेरा हाल जानकर तेरा दिल शायद नम हो
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’