मसीह ने कहा था बिन माँगे कुछ मिलता नहीं तेरे घर से
मैं तो झोली फैलाये कब से खड़ा हूँ कुछ मिलता नहीं तेरे घर से
तू तो खु़दा है यारब सारी क़ायनात तेरी है बड़ा दाता है तू
बहुत कुछ माँगकर देखा मैंने कुछ मिलता नहीं तेरे घर से
बारहा जाता हूँ मैं अश्कों से आँख डबोये तेरे दर पर
मैंने तो तुझे पूजकर भी देखा कुछ मिलता नहीं तेरे घर से
महज़ बुत न कहने लगें तुझको दुनिया वाले देखना
दिल अपना मोम कर दे कभी कुछ मिलता नहीं तेरे घर से
इम्तिहाने-मुहब्बत में तू साबित कर मुझको क़ाबिल
दे मेरी शीना मुझे कि फिर न कहूँ कुछ मिलता नहीं तेरे घर से
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’