कुछ तो था कुछ तो है
तेरे-मेरे बीच सजनी
वरना तुम यहाँ न आती
वरना यादें तेरी न होती
यूँ बरस गुज़रते हैं
तेरे लिए तड़पते हैं
तन्हा-तन्हा रात-दिन
तेरे लिए तुम बिन
कुछ तो था कुछ तो है
तेरे-मेरे बीच सजनी…
तुमको पाना है मुझे
मुझको अपनाना है तुझे
ग़म ख़ुशी बन जायेगा
दोनों को क़रीब लायेगा
वरना तुम यहाँ न आती
वरना यादें तेरी न होती…
ख़ाब सच हो जायेंगे
हम-तुम मिल जायेंगे
प्यार होगा दरम्याँ
तेरी आँखों में मेरा जहाँ
कुछ तो था कुछ तो है
तेरे-मेरे बीच सजनी…
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४
12 replies on “कुछ तो था कुछ तो है”
यूँ बरस गुज़रते हैं
तेरे लिए तड़पते हैं
तन्हा-तन्हा रात-दिन
तेरे लिए तुम बिन
वाह भई विनय जी बहुत ही खूब अच्छी रचना के लिए बधाई
जोश मलीहाबादी साहब कहते हैं-
इश्क में कहते हो हैरान हुए जाते हो।
ये नहीं कहते कि इन्सान हुए जाते हो।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
विनय जी,
अच्छी रचना के लिए बधाई….
बहुत सुन्दर गीत है।
बहुत सही..वरना कैसे आती.. 🙂
अच्छी रचना!!!!!!
सभी धड़ाधड़ टिप्पणीकारों को मेरा प्रणाम!
वरना तुम यहाँ न आती
वरना यादें तेरी न होती…
” very beautiful soft words”
Regards
बहुत सुन्दर रचना
“तन्हा-तन्हा रात-दिन
तेरे लिए तुम बिन”
सटीक शब्द
गोविन्द K. प्रजापत”काका” बानसी
उदयपुर (राजस्थान)
कुछ तो था कुछ तो है,
क्या बात कही नज़र भाई !
बहुत बेहतर !
to all my friends and readers, thank you!
Bahut khoob!
Aap ki kavita padkar mujhe pata naheen kyun yeh geet yaad aaya…
http://www.youtube.com/watch?v=oMZ08gU9hfY
I must say MS ji ‘tumhein yaad karate-karate’ song was so romantic call picturised on Sadhana/Vaijanti JI.