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मेरा गीत

मैं सबसे जुदा-जुदा रहने लगा हूँ

मैं सबसे जुदा-जुदा रहने लगा हूँ
ख़ुद से यारों ख़फ़ा रहने लगा हूँ
कभी दिल कहे उसे अपना बना लूँ
कभी दिल कहता है उसे भुला दूँ

क्या करूँ दिल दो तरफ़ा हो गया है
हर पल मुझसे ख़फ़ा हो गया है
दिल सोच रहा है क्या मेरा फैसला है
हर वक़्त दिल में ख़्याल उसका है

मैं सबसे जुदा-जुदा रहने लगा हूँ
ख़ुद से यारों ख़फ़ा रहने लगा हूँ
यह प्यार है पहले क्यों न जाना
बेकार है इस दिल को समझाना

देखूँ जिस तरफ़ वही नज़र आता है
अब यह दीवाना कहीं चैन न पाता है
एक वह ही मेरी आख़िरी मंज़िल है
उस पर ही आया मेरा आवारा दिल है

मैं सबसे जुदा-जुदा रहने लगा हूँ
ख़ुद से यारों ख़फ़ा रहने लगा हूँ…


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: १९९८-१९९९

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

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