मैं तुम्हें चाहता हूँ यह इक़रार कर पाना बहुत मुश्किल है
आकर तुम्हीं मुझसे इज़हारे-इश्क़ का कोई वादा ले लो,
वरना ज़िन्दगी का एक-एक दिन तेरे इंतिज़ार में कटेगा
इक़रार: to confess | इज़हार: to express
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४
मैं तुम्हें चाहता हूँ यह इक़रार कर पाना बहुत मुश्किल है
आकर तुम्हीं मुझसे इज़हारे-इश्क़ का कोई वादा ले लो,
वरना ज़िन्दगी का एक-एक दिन तेरे इंतिज़ार में कटेगा
इक़रार: to confess | इज़हार: to express
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४
8 replies on “मैं तुम्हें चाहता हूँ”
आकर तुम्हीं मुझसे इज़हारे-इश्क़ का कोई वादा ले लो,
वरना ज़िन्दगी का एक-एक दिन तेरे इंतिज़ार में कटेगा
” ya well said…..and if wait is endless… it is not bearable”
Regards
बहोत बढ़िया त्रिवेणी मारी आपने भाई साहब ,बहोत खूब ढेरो बधाई आपको ..
क्या बात है भाई…बहुत खूब…
नीरज
शुक्रिया! सीमा, अर्श और नीरज साहब!
आकर तुम्हीं मुझसे इज़हारे-इश्क़ का कोई वादा ले लो, –
bahut khuub !
chahate gar sachi ho har manjil ansha hai
koshise agar na ho kehne ki, phir na koi wada hai
iskq wo karte hai jinka majboot irada ho
phir to pyar ki rahon mein chalna ansa hai
lab gar ho bhi khamosh to kya, najro ka to wada hai
wo aye na aye hame kya,hame to unme ghulne ka irada hai
samjhe sir don’t very be happy
अल्पना जी धन्यवाद!
mai tumhe chahta hun