तुम न माने मेरी बात मैंने कब कुछ कहा
तुम घर आये आधी रात मैंने कब कुछ कहा
तुमने मेरी तस्वीर जला दी मेरे ही सामने
और कर दिया उसे राख मैंने कब कुछ कहा
पहले देखते थे तुम प्यार की निगाहों से
तुमने बदले इशारात मैंने कब कुछ कहा
वक़्त बदलता रहा और साथ-साथ तुम भी
तुमने तोड़ ली हर शाख़ मैंने कब कुछ कहा
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००२