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मेरा गीत

मैंने कभी देखा नहीं था

मैंने कभी देखा नहीं था
इतना हसीन चेहरा
कहीं तुम चले गये हो
फिर भी है आँखों में ठहरा

बात जो कही हमने
जाने तुम समझ पाये या नहीं
दिल में निश्तर उतरी है
तुम मुझे भुला पाये या नहीं

हाथों की लकीरों से
बैठा हुआ पूछता रहता हूँ
हर आहट पे ‘तुम आये’
ये सभी से कहता हूँ

मैंने कभी देखा नहीं था
इतना हसीन चेहरा
कहीं तुम चले गये हो
फिर भी है आँखों में ठहरा

एक अजीब-सा एहसास
अब दिल में उमड़ता रहता है
फ़िज़ाओं में हर तरफ़
इक रंग-सा घुलता रहता है

मैं अगर चाहूँ भी तो
तुझे भुला नहीं सकता
दिल पर लिखा है जो
पाक इल्ज़ाम…
उसे मिटा नहीं सकता

मैंने कभी देखा नहीं था
इतना हसीन चेहरा
कहीं तुम चले गये हो
फिर भी है आँखों में ठहरा


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००१-२००२ 

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

One reply on “मैंने कभी देखा नहीं था”

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