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'सौदा' का सुखन

मक़दूर नहीं उस तज्जली के बयाँ का

मक़दूर१ नहीं उस तज्जली२ के बयाँ का
जूँ-शमा३ सरापा हो अगर सर्फ़४ ज़बाँ का

पर्दे को तअय्युन५ के दरे-दिल से उठा दे
खुलता है अभी पल में तिलिस्मात जहाँ का

टुक६ देख सनमख़ानए-इश्क़७ आन के ऐ शैख़!
जूँ शमए-हरम८ रंग झलकता है बुताँ का

इस गुलशने-हस्ती९ में अजब दीद१० है लेकिन
जब चश्म११ खुले गुल की तो मौसम हो ख़िजाँ का

दिखलाइए ले जाके तुझे मिस्र के बाज़ार
लेकिन नहीं ख़्वाहाँ१२ कोई वाँ१३ जिंसे-गिराँ१४ का

क़ता
‘सौदा’ जो कभी गोश से हिम्मत के सुने तू
मज़मून१६ यही है जरसे-दिल१७ की फ़ुग़ाँ१८ का

हस्ती१९ से अदम२० तक नफ़से-चंद की है राह
दुनिया से गुज़रना सफ़र ऐसा है कहाँ का!

१.सामर्थ्य २.आलोक ३.शमा की तरह ४.व्यय ५.अस्तित्व-लोक ६.ज़रा
७.प्रेम का मंदिर ८.हरम की शमा की तरह ९.जीवन रूपी उपवन १०.दृश्य
११.आँख १२.इच्छुक १३.वहाँ १४.क़ीमती माल १५.कान १६.विषय १७.दिल
रूपी घंटी १८.आह-पुकार १९.अस्तित्व २०.अनस्तित्व, मृत्युलोक २१.चंद
साँसों की

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

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