बारिश, बूँदें, पत्ते, मिट्टी -सौंधी
रात, चाँद, तारे, निगाह -मेरी
मरासिम लफ़्ज़ों से नहीं होते
एहसास से होते हैं,
अश्क जो आँखों में उतर आयें
फिर पलकें भिगोते हैं…
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३
बारिश, बूँदें, पत्ते, मिट्टी -सौंधी
रात, चाँद, तारे, निगाह -मेरी
मरासिम लफ़्ज़ों से नहीं होते
एहसास से होते हैं,
अश्क जो आँखों में उतर आयें
फिर पलकें भिगोते हैं…
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३
One reply on “मरासिम लफ़्ज़ों से नहीं होते”
Very Nice