ज़िन्दगी…
एक हीरे की अंगूठी है
न उंगली में पहन सकूँ
न ज़ुबाँ से चाट सकूँ
मौत और मेरे दर्मियान
बस यही तो है!
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३
ज़िन्दगी…
एक हीरे की अंगूठी है
न उंगली में पहन सकूँ
न ज़ुबाँ से चाट सकूँ
मौत और मेरे दर्मियान
बस यही तो है!
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३