मुझको तेरी चाहत है
तू मेरी मोहब्बत है
अपने दिल की गहराइयों से
तुमको छूकर
मैं महसूस करना चाहता हूँ
मैं नहीं कह सकता
कैसा मैं महसूस करता था
जब यहाँ तुम थे
मेरे दिल के क़रीब है तू…
मैं तुझे याद करता हूँ
तू मेरी मोहब्बत है
तूने मुझको बहुत रुसवा किया है
मगर मैं जानता हूँ
तू बेवफ़ा नहीं थी
मुझको इसकी परवाह नहीं है
क्या ग़लत है क्या सही है
अपने दिल की गहराइयों से
मैं तुमसे मुहब्बत करता हूँ
मेरे दिल के क़रीब है तू…
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २०००