मेरे दिल की पगडंडियों से गुज़र जा एक दफ़ा फिर
मेरे जिस्मो-जाँ को जीवन दे जा ओ बेवफ़ा फिर
इन राहों पर हल्के गुलाबी फूल खिलने लगे हैं
बेज़ुबाँ दिल में मोहब्बत के अरमान जगने लगे हैं
आ निगाहों में आ जा, कर दे धड़कनें रवाँ फिर
मेरे दिल की पगडंडियों से गुज़र जा एक दफ़ा फिर
उदासियाँ, तन्हाइयाँ, मुझसे शिकवे करने लगी हैं
आँखों में, रोज़ ख़ाबों में, तेरी तस्वीरें बनने लगी हैं
आ मेरे सनम कर दे धुँधली-धुँधली यादें जवाँ फिर
मेरे दिल की पगडंडियों से गुज़र जा एक दफ़ा फिर
यह प्यार मुझको दुनिया से गुमराह करने लगा है
तेरा दीवाना हर चेहरे में तेरा चेहरा पढ़ने लगा है
बता तू, मुझसे मिलेगी, कैसे, कब और कहाँ फिर
मेरे दिल की पगडंडियों से गुज़र जा एक दफ़ा फिर
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: ०४ मई २००३