मेरी प्रिय मेरी प्रियतमा मेरी प्रेयसी
मैं तुमको सच्चे मन से प्रेम करता हूँ
निर्मल निश्छल सच्चा प्रेम करता हूँ
सो जाते हैं सारे मात्र मैं ही जागता हूँ
उठके रात्रि में तेरा नाम पुकारता हूँ
टूटे कोई तारा अगर तुम्हें माँगता हूँ
मेरी प्रिय मेरी प्रियतमा मेरी प्रेयसी
मैं तुमको सच्चे मन से प्रेम करता हूँ
सपनों में तुम न आयी कैसी रुसवाई
कैसे मैं बताऊँ तुम्हें क्यों तड़पता हूँ
बिन ऋतु कभी-कभी क्यों बरसता हूँ
मेरी प्रिय मेरी प्रियतमा मेरी प्रेयसी
निर्मल निश्छल सच्चा प्रेम करता हूँ
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: १९९८-१९९९
2 replies on “मेरी प्रिय मेरी प्रियतमा”
प्रेमिका के प्रति आपकी भावनाओं का इजहार अच्छा है। यह वास्तविकता है या सिर्फ कल्पना मात्र?
तारीफ़ का शुक्रिया, आपके प्रश्न का उत्तर देना कठिन है, क्योंकि यह मेरे निजी जीवन से सम्बध्द है।