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मेरा गीत

मुझ को आज भी तुम्हारा इन्तज़ार है

मुझ को आज भी तुम्हारा इन्तज़ार है
वही तड़प है, दिल उतना ही बेक़रार है

तेरी हँसी और हया के लिए मेरी आँखों में
जानम आज तलक उतना ही प्यार है
वही तड़प है, दिल उतना ही बेक़रार है

तुमसे मिलके पतझड़ में बहार खिल जाती है
तुम बाँहों में हो तो मुझे क़रार है
मुझ को आज भी तुम्हारा इन्तज़ार है

नज़रों के वह सिलसिले ख़ामोशी की आड़ में
उनसे आज भी मुझ को इक़रार है
वही तड़प है, दिल उतना ही बेक़रार है

गुलाबी फूल फिर मुस्कुराने लगे शाख़ों में
इनमें रंग तेरा ही मेरे यार है
मुझ को आज भी तुम्हारा इन्तज़ार है


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

8 replies on “मुझ को आज भी तुम्हारा इन्तज़ार है”

नज़रों के वह सिलसिले ख़ामोशी की आड़ में
उनसे आज भी मुझ को इक़रार है
वही तड़प है, दिल उतना ही बेक़रार है

bahut khoob….
.blogvani par kya aapne link nahi kar rakha hai ?aapke blog vahan najar nahi aata hai.

शायद किया तो था पुन: समस्या निवारण के लिए कोशिश करता हूँ, शुक्रिया!

तुमसे मिलके पतझड़ में बहार खिल जाती है
तुम बाँहों में हो तो मुझे क़रार है
मुझ को आज भी तुम्हारा इन्तज़ार है

विनय जी बेहतरीन रचना के लिए बधाई हो आपको बहुत ही दिल छूती रचना है बधाई स्‍वीकार करें

तुमसे मिलके पतझड़ में बहार खिल जाती है
तुम बाँहों में हो तो मुझे क़रार है……

Kuchh bate kabhi dil ko etani chhoo jati hai
ki sab kuchh yaad aa jata hai….
Mind blowing creation..

http://www.dev-poetry.blogspot.com/

नज़रों के वह सिलसिले ख़ामोशी की आड़ में
उनसे आज भी मुझ को इक़रार है
वही तड़प है, दिल उतना ही बेक़रार है

simply beautiful emotions

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