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मेरी ग़ज़ल

नहीं आसाँ तो मुश्किल ही सही

नहीं आसाँ तो मुश्किल ही सही
मुझको मोहब्बत है’ तुम से ही

नाज़ है तुम्हें’ थोड़ा ग़ुरूर मुझे
मैंने दिल लगाया है’ तुम से ही

आज न पिघला तो कल पिघलेगा
यह बात हम सुनेंगे’ तुम से ही

आज दूरियाँ हैं तेरे-मेरे बीच
ज़रूर कल मिलेंगे’ तुम से ही


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

13 replies on “नहीं आसाँ तो मुश्किल ही सही”

Good Morng. Vinay ji

आज दूरियाँ हैं तेरे-मेरे बीच
ज़रूर कल मिलेंगे’ तुम से ही
Aap ke iis lines se pyaar ko pany ki khwahish or ummid saaf dihaii deti hain.
Bahut sundar likha hain Badhaii aapko

बहर में लिखेंगे तो अधिक आनंद आएगा…कोशिश तो कीजिये…
नीरज

ज़रूर कोशिश करेंगे साहब, आपकी बात बिल्कुल सही है। शुक्रिया…

BAHOT KHUB SAHIB… KAHAN TO WAAKAEE BAHOT HI ACHHA HAI… MAGAR NEERAJ JEE KE BAAT PE BHI GAUR KARE….. AAP BLOG KI DUNIYA KE SABSE PURAANE MERE MITRO MESE HAI … ANYATHA NAA LE… KAHAN TO KAMAAL KA … DHERO BADHAAYEE AAPKO..

ARSH

आशान्वित हैं, अच्छा है, लेकिन कस्मे-वादे कभी पूरा होते हैं क्या?

क्या पता साहिब? कुछ होगा तो आपको ज़रूर बतायेंगे साहब!

आशान्वित हैं, अच्छा है, लेकिन कस्मे वादे कभी पूरा हुये हैं क्या?

आज न पिघला तो कल पिघलेगा
यह बात हम सुनेंगे’ तुम से ही

क्या बात लिखी है विनय जी………….
इश्क में ऐसी आशा रखना तो लाज़मी है……….उम्मीद पर ही तो दुनिया टिकी है ………..बहूत खूबसूरत शेर

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