दिल में धड़कती है मुहब्बत तेरी
बिन तुम्हारे चली जाए जान मेरी
क्या रखा है दुनिया में गर तुम ही न हो
मेरे दिल में है जो सो हसरत तेरी
तुम जैसा न मैंने एक दीदार किया
इसीलिए तुम में अटक गयी जान मेरी
तू अपना कह के सीने लगा ले मुझको
सर आँखों पर सजाऊँ नख़्वत तेरी
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’