पहली नज़र का पहला प्यार कर गया दीवाना
मेरा दिल यह बेचारा हो गया आशिक़ाना
आँखों में बेताबी है, चैन कहाँ है
डरता हूँ कहीं कोई बन जाये ना अफ़साना
फूल हँसें हैं सारे, दिल धड़का है
ठण्डी साँसों में जैसे शोला भड़का है
उसका चेहरा चाँद है, नूर है
लड़की नहीं वह इक हूर है
थाम के दिल मैं राहों में खड़ा हूँ कि
हो जाऊँ उसके तीरे-नज़र का निशाना
पहली नज़र का पहला प्यार कर गया दीवाना
अब मैं दिल में उसके बनाऊँगा आशियाना
वह मेरी अब इक मंज़िल है
उसकी बाँहो के सिवा कहाँ कोई मेरा ठिकाना
उसको देखकर जी नहीं भरता है
कैसे जताये उसे उस पर मरता है
भोली-भाली वह सबसे जुदा है
सबसे निराली उसकी अदा है
आये वह कभी जो मेरी दुनिया में तो
छोड़ दूँ उसके लिए मैं यह सारा ज़माना
पहली नज़र का पहला प्यार कर गया दीवाना
मेरा दिल यह बेचारा हो गया आशिक़ाना
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: ०८ मई २००३
8 replies on “पहली नज़र का पहला प्यार”
अरे जनाब आप तो बड़े पुराने आशिक निकले। आपकी आशिकी रंग लायी या नहीं तनिक बताने का कष्ट करें। हमें खुशी होगी। वैसे रचना पढ़कर तो लग रहा है कि कोई न कोई कुड़ी आप पर जरूर मर मिटी होगी। आमीन!
क्या रवीन्द्र भाई, छेड़ का इससे बेहतर कोई मौक़ा नहीं मिला! Thanks for indirect appreciation…
पहली नज़र का पहला प्यार कर गया दीवाना
मेरा दिल यह बेचारा हो गया आशिक़ाना
बहुत बढिया!
बहुत-बहुत स्वागत परमजीत… धन्यवाद!
Bahut sundar
Suban Allah
Ultimate one
पहली नज़र का पहला प्यार कर गया दीवाना
waise wo hai kaun 🙂
@ अमिझा, जब मीर तक़ी मीर ने किसी को अपनी प्रेमिका के बारे में नहीं बताया फिर मैं क्यों बताऊँ…??? चलो सारी रचनाएँ पढ़ो कहीं न कहीं तो उसका नाम आता होगा… !!!
is dard bhare duniya me sukun mila apki kavita padkar
relax the soul