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मेरा गीत

पहली नज़र उफ़ तौबा हाए

पहली नज़र उफ़ तौबा हाए
दिल कैसे ख़ुद को समझाए
दिवाने को आशिक़, आशिक़ को सौदाई, कर दिया है
सौदाई परवाना, कैसे ना
शमअ पर जान लुटाए…

पहली नज़र उफ़ तौबा हाए…

पागल यह पवन हो गयी है
ख़ुशबू का चमन हो गयी है
जादू तेरी निगाह चलाये, मेरे दिल को धड़काये
जाये रे जाये, मेरी जान
चली जाये, ना जाये…

पहली नज़र उफ़ तौबा हाए
पहली नज़र का असर हाए
दिल कैसे ख़ुद को समझाये…

शाम जैसा सुनहरा तेरा चेहरा
आँखों का रंग काजल से गहरा
चाँद जो आये, चाँदनी बिखर जाये, नूर ना पाये
तू जो मुस्कुराये
सूरज चमक जाये, नूर उठाये…

पहली नज़र उफ़ तौबा हाए
पहली नज़र का असर हाए
दिल कैसे ख़ुद को समझाये…

तू ख़ाबों में आने लगी है
ख़्यालों को उलझाने लगी है
आये, तू मेरी ज़िन्दगी में आये, कभी तो आये
मेरी हर शाम, चमक जाये
महक जाये, बहक जाये…

पहली नज़र उफ़ तौबा हाए…


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००३

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

4 replies on “पहली नज़र उफ़ तौबा हाए”

bahot hi ashique hai isme maza aaya padha kar ..sundar rachana hai …….badhai…….

are nazar sahab wo aapne apne blog me ye kese kara jissse ki logon ki rachanayen apdate hoti dikhati hai jara batayen…….

regards
Arsh

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