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मेरा गीत

पीके बहक गये थे वक़्त के जाम

पीके बहक गये थे वक़्त के जाम
न मंज़िल मिली न हासिल मुक़ाम
पीके बहक गये थे वक़्त के जाम

ठहरी हुई आँखों में ठहरा-सा ख़ाब था
बाक़ी आज भी कल का हिसाब था
उम्मीद में कल की शब गुज़री थी
उम्मीद में आज का दिन गुज़र गया

पीके बहक गये थे वक़्त के जाम
न मंज़िल मिली न हासिल मुक़ाम 

एतबार खोया दूसरों पे करते-करते
ज़िंदगी बितायी जीते जी मरते-मरते
शाम का पहलू न छूटे जी चाहता है
कुछ खो दिया यह दिल कराहता है


शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००१-२००२

By Vinay Prajapati

Vinay Prajapati 'Nazar' is a Hindi-Urdu poet who belongs to city of tahzeeb Lucknow. By profession he is a fashion technocrat and alumni of India's premier fashion institute 'NIFT'.

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