मुझसे तुमको भुलाया न जायेगा
दर्द का चिराग़ बुझाया न जायेगा
मैं पीता हूँ ग़मे-सराब* मगर
शराब में ज़हर मिलाया न जायेगा
वो अदू था मैं रक़ीब ख़ुद अपना
ये यराना मुझसे निभाया न जायेगा
तुम खड़े हो जाओ मेरे मुक़ाबिल
कि मुझसे ख़ुद को मिटाया न जायेगा
तुम न समझे मेरा प्यार कभी
मेरा प्यार मगर ज़ाया न जायेगा
*सराब = Mirage
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००२
One reply on “पीता हूँ ग़मे-सराब”
pyar ka matlab kya hai, aaj jana