पूनम थी शाम जिसने देखा मुझे
मैंने उसकी नज़र को उसने मुझे,
और चाँद रातभर रश्क करता रहा!
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४
पूनम थी शाम जिसने देखा मुझे
मैंने उसकी नज़र को उसने मुझे,
और चाँद रातभर रश्क करता रहा!
शायिर: विनय प्रजापति ‘नज़र’
लेखन वर्ष: २००४
4 replies on “पूनम थी शाम जिसने देखा मुझे”
और चांद रात भर रश्क करता रहा बहूत खूब भाई विनय अच्छा
चाँद रातभर रश्क करता रहा!
bahut khuub!
bahot badhiy loot ke le gaye aap to …..bahot khub saab…maza aagaya isme to ..
मोहन जी , अल्पना जी और अर्श साहब बहुत-2 शुक्रिया!